विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी शिक्षकों ने परेड ग्राउंड पहुंचकर आक्रोश मार्च में किया प्रतिभाग
देहरादून – पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन के द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पेंशन बहाली हेतु आक्रोश मार्च के लिए उत्तराखण्ड के सभी महासंघों के साथ हजारों की संख्या में विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी शिक्षकों ने परेड ग्राउंड पहुंचकर आक्रोश मार्च में प्रतिभाग किया। मौसम खराब होने के बावजूद एवं शिक्षा विभाग में जनपद स्तरीय क्रीडा प्रतियोगिता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम होने के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाएं कर्मचारी अधिकारी शिक्षक एन एम ओ पो एस के बैनर तले आक्रोश मार्च में सम्मिलित हुए परेड ग्राउंड से बुद्ध चौक होते हुए हजारों की संख्या में जुलूस की शक्ल में कर्मचारी शिक्षक जिला अधिकारी कार्यालय के पास शहीद स्थल में जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देते ज्ञापन प्रेषित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को दिया गया प्रदेश अध्यक्ष जीत मणि पैन्यूली प्रदेश महामंत्री मुकेश रतूड़ी प्रदेश कोषाध्यक्ष शांतनु शर्मा प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत पुष्कर राज बहुगुणा हेमलता का जलीय सुनील गोसाई रुचि पैन्यूली उर्मिला देवी अमित शेखर नेगी संतोष गाड़ी हर्षवर्धन जनलोकी अर्जुन पंवार जगमोहन नेगी अनिल राणा राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान श्याम सिंह सरियाल आशीष जोशी सचिवालय संघ के अध्यक्ष सुनील लाखेड़ा राकेश जोशी रंजीत रावत प्रदीप अपने के नेतृत्व में ढोल दमोह एवं वाद्य यंत्रों के साथ आक्रोश मार्च किया गया
पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आन्दोलन NMOPS नई पेंशन योजना (NPS) एवं यूनिफाईड पेंशन योजना (UPS) के विरोध में तथा पुरानी पेंशन योजना की बहाली हेतु पूरे देश के सभी राज्यों के जिला मुख्यालयों के साथ-साथ उत्तराखण्ड के सभी 13 जनपदों में निकालेगा जन आक्रोश मार्च।
राजकीय कार्मिकों के लिए नयी पेंशन व्यवस्था के स्थान पर पुरानी पेंशन
व्यवस्था लागू करने के लिए पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आन्दोलन (NMOPS) के बैनर
तले कई वर्षों से पूरे देश में आन्दोलन किया जा रहा है जिसको दृष्टिगत रखते हुये केन्द्र
सरकार के द्वारा नई पेंशन योजना (NPS) के स्थान पर केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए दिनांक 24.08.2024 को यूनिफाईड पेंशन योजना (UPS), जो 01 अप्रैल 2025 से लागू की जायेगी, की घोषणा की गयी है। जिसके कम में केन्द्र सरकार द्वारा सभी राज्यों को इस योजना को अंगीकार / लागू करने की सलाह दी गयी है। संगठन एवं जाने माने प्रश्नगत विषय से सम्बन्धित विशेषज्ञों द्वारा यूनिफाईड पेंशन योजना (UPS) का अध्ययन एवं विश्लेषण किये जाने पर उक्त पेंशन योजना में निम्नलिखित कमियाँ दृष्टिगोचर हुई हैं :-
1. कार्मिकों द्वारा अपने वेतन से कटौती कर अंशदान के रूप में जमा की गयी 10 प्रतिशत की राशि को कार्मिकों को वापस नही किया जायेगा, जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था में यह राशि जी०पी०एफ० में जमा हो जाती थी, जो सेवानिवृत्ति या सेवा के दौरान कार्मिकों को वापस हो जाती थी।
2. पुरानी पेंशन योजना के अन्तर्गत राज्य में 20 वर्ष की सेवा के पश्चात् पूरी पेंशन का प्राविधान था, जो अब 25 वर्ष की सेवा के पश्चात् प्राप्त होगा साथ ही यह भी अवगत कराना है कि उत्तराखण्ड की रोजगारपरक स्थिति को देखते हुये सरकारी सेवा में भर्ती की अधिकतम आयु 42 वर्ष है अर्थात् उत्तराखण्ड का अधिकतर कार्मिक वर्ग 18 से 24 वर्ष ही सेवा निष्पादित कर पाता है, जिससे यूनिफाईड पेंशन योजना (UPS) से आच्छादित सम्बन्धित कार्मिकों को पूरी पेंशन का लाभ प्राप्त नहीं हो पायेगा।
3. यूनिफाईड पेंशन योजना (UPS) का संचालन केन्द्र एवं संबंधित राज्य सरकार द्वारा किये जाने का प्राविधान है या किसी एजेन्सी द्वारा किया जायेगा का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
4. एक ही राज्य में कार्मिकों (अधिकारी, कर्मचारी एवं शिक्षक) को 03 प्रकार की पेंशन प्राप्त होगी, यथा NPS, UPS तथा OPS, जो समानता के अधिकारों का अवक्रमण है, जिससे नैसर्गिक रूप से कार्मिकों के विभिन्न श्रेणियों में बंट जाने की प्रकिया होनी अवश्यंभावी है।
5. यूनिफाईड पेंशन योजना (UPS) में कार्मिकों को ग्रेज्युटी में भी भारी नुकसान की सम्भावना है।
6. सेवानिवृत्ति के पश्चात् NPS तथा UPS में चिकित्सा प्रतिपूर्ति तथा अन्य सुविधाओं के प्राविधानों का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
उपर्युक्त तथ्यों को देखते हुये कार्मिकों को पेंशन एवं अन्य वित्तीय सेवा लाभों के नही प्राप्त होने के प्रति भारी आशंका है। पूर्व में भी भारत सरकार द्वारा जब नयी पेंशन योजना (NPS) प्रारम्भ की गयी थी, उसका प्रचार-प्रसार कर तत्समय कार्मिकों को, जो लाभकारी तथ्यों की जानकारी दी गयी थी, यथा कार्मिकों को करोडों रूपये मिलेंगें तथा अच्छी पेंशन प्राप्त होगी, लेकिन विगत 20 वर्षों में सेवानिवृत्त कार्मिकों के जो पेंशन प्रकरणों के दृष्टांन्त सामने आ रहे हैं, उनके प्रायोगिक विश्लेषण (आखिरी वेतन का 3-5 प्रतिशत राशि भी कार्मिकों को पेंशन के रूप में बमुश्किल प्राप्त हो रही है) से सरकारों को समय-समय पर अवगत कराया जाता रहा है, तथा साथ ही अन्तिम रूप से यह तथ्य और सत्य पाया गया है, कि यह योजना कार्मिकों के भविष्य को अंधकारमय कर रही है। ।
समर्थन देने वाले संगठनों में प्रमुख रूप से राजकीय शिक्षक संघ से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव राम सिंह चौहान एवं रमेश चन्द्र पैन्यूली, सचिवालय संघ से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव श्री सुनील लखेडा एवं राकेश जोशी, उत्तराखण्ड
अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति से शक्ति प्रसाद भट्ट एवं पूर्णानन्द नौटियाल, उत्तराखण्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव इं० एस०एस० चौहान एवं इं० मुकेश रतूडी, उत्तरांचल (पर्वतीय) कर्मचारी शिक्षक संगठन से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव आर०एस० ऐरी एवं अशोक राज उनियाल, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखण्ड से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव अरूण पाण्डेय एवं शक्ति प्रसाद भट्ट, वैयक्तिक अधिकारी / वैयक्तिक सहायक महासंघ एसोसियेशन उत्तराखण्ड से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव विक्रम सिंह नेगी एवं कुलदीप कुमार, राजकीय वाहन चालक महासंघ उत्तराखण्ड से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव योगेश उपाध्याय एवं महावीर त्यागी, इंजीनियरिंग ड्राईग फैडरेशन सर्विसेज एसोसियेशन उत्तराखण्ड से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव निशंक सिरोही एवं विवेक रतूड़ी, सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ उत्तराखण्ड से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव पूर्णानन्द नौटियाल एवं राकेश सिंह रावत, उत्तराखण्ड निगम अधिकारी कर्मचारी महासंघ उत्तराखण्ड से प्रान्तीय अध्यक्ष / महासचिव दिनेश गुसांई एवं बी. एस. रावत सहित संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, उत्तराखण्ड सचिवालय समीक्षा अधिकारी संघ, अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तराखण्ड, प्राथमिक समायोजित टी०ई०टी० उत्तीर्ण शिक्षक संगठन उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड राज्य कर मिनिस्ट्रीयल स्टॉफ एसोसिएशन, अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन, मेट कर्मचारी संघ सिंचाई विभाग, मिनिस्टीरियल एसोसिएशन सिंचाई विभाग, उत्तराखण्ड पॉलीटेक्निक शिक्षक संघ, प्रदेशीय प्राविधिक शिक्षा, अनुदेशक संघ उत्तराखण्ड, लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग, लघु सिंचाई विभाग, सिंचाई विभाग, संघ द्वारा समर्थन दिया गया।