न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति नागरिक अधिकारों की रक्षक- त्रिपाठी
ऋषिकेश – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 में उल्लिखित न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का प्रयोग कर हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने बार बार नागरिक अधिकारों की रक्षा की है इस प्रकार यह शक्ति हमारे मूल अधिकारों की रक्षक है। संविधान जहां एक ओर संसद एवं न्यायपालिका के अधिकारों एवं कर्तव्यों का विभाजन करता है वहीं न्यायपालिका पर संविधान के निर्वचन एवं रक्षा का दायित्व भी है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टिहरी गढ़वाल के सचिव आलोक राम त्रिपाठी ने ओंकारानंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टिहरी गढ़वाल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए कहा।
माननीय उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एव जिला जज/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण योगेश कुमार गुप्ता जी के निर्देश पर दिनांक 26.11.2024 को संविधान दिवस के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन ओंमकारानन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (OIMT) मुनिकीरेती, टिहरी गढ़वाल में किया गया। विधिक सेवा प्राधिकरण के रिटेनर अधिवक्ता श्री राजपाल सिंह मिंया द्वारा भी संविधान में हमारे मूल अधिकारों व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली के बारे में सभी को अवगत करवाया। सीनियर अधिवक्ता अभिषेक प्रभाकर द्वारा भी संविधान के महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर प्रकाश डाला गया। थाना पुलिस मुनिकीरेती की सबइंस्पेक्टर दीपिका तिवारी द्वारा पोक्सो अधिनियम साइबर अपराध, नशे के दुष्प्रभाव आदि विषयों पर कानूनी जानकारी दी गई। इस अवसर पर संस्था के कई छात्र/छात्राओ द्वारा भी संविधान के विभिन्न विषयों पर अपने अपने विचार व्यक्त किये गए। इस अवसर पर बार एसोसिएशन ऋषिकेश के अध्यक् पंचम सिंह मिंया,थाना पुलिस मुनिकीरेती के सबइंस्पेक्टर आशीष वर्मा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के परा विधिक स्वयंसेवी (अधिकार मित्र) उषा कैंतुरा, खुशी रावत, कॉलेज के समस्त शिक्षक- शिक्षिकाये, कर्मचारीगण व समस्त छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।