उत्तराखंड

डीएम ने मनरेगा के अंतर्गत कुल व्यय का 60 प्रतिशत जल संरक्षण एवं संवर्धन से संबंधित कार्यों पर केंद्रित करने के दिये निर्देश

उत्तरकाशी –  महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की वार्षिक कार्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर जिलाधिकारी डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में जिला मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में वित्तीय वर्ष के लिए विकास कार्यों की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा की गई। मनरेगा के अंतर्गत कुल व्यय का 60 प्रतिशत जल संरक्षण एवं संवर्धन से संबंधित कार्यों पर केंद्रित करने के निर्देश दिए। ताकि प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके। शेष 40 प्रतिशत राशि अन्य निर्माणात्मक एवं विकासात्मक कार्यों में व्यय करने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर जॉब कार्डधारकों की संख्या के अनुरूप विस्तृत कार्य योजना तैयार करना सुनिश्चित करें। ताकि ग्रामीणों को अधिकतम रोजगार उपलब्ध हो सके और योजना का लाभ लक्षित हितग्राहियों तक पहुंच सके। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि कार्यों की योजना बनाते समय स्थानीय आवश्यकताओं और संसाधनों का ध्यान रखा जाए ताकि पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु समयबद्ध निगरानी तंत्र को सशक्त बनाया जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि गांव का सुनियोजित एवं समग्र विकास के लिए मनरेगा एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माध्यम है। यह आवश्यक है कि योजना के अंतर्गत सभी विकासात्मक कार्य प्राथमिकता एवं पारदर्शिता के साथ समयबद्ध रूप से पूर्ण हो इसके अनुरूप योजना बनायी जाए। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास को गति मिल सके।

जिलाधिकारी ने मनरेगा के अंतर्गत वनीकरण से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। विशेष रूप से फलदार,चारा पत्ती एवं छायादार प्रजातियों के पौधारोपण को कार्य योजना में शामिल करने को कहा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन एवं आजीविका संवर्द्धन की दृष्टि से इको-फ्रेंडली गतिविधियों को अधिकाधिक प्रोत्साहित किया जाए। स्थानीय नर्सरी विकास को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया। ताकि पौधों की उपलब्धता के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी सृजित हो सके। भूमि विकास कार्यों के अंतर्गत किसानों एवं बागवानों की खेती एवं बागवानी को वन्यजीवों से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बायोफेंसिंग/घेरबाड़ जैसे कार्यों को प्राथमिकता के साथ कार्य योजना में शामिल करने को कहा। छुटे हुए गांवों में आवागमन को सुलभ और सुरक्षित बनाने हेतु इंटरलॉकिंग टाइल्स एवं अन्य पथ निर्माण कार्यों को भी कार्य योजना में शामिल करने के निर्देश दिए। ताकि ग्रामीण आधारभूत संरचना में गुणात्मक सुधार हो सके। इसके अतिरिक्त कई महत्वपूर्ण कार्यों को कार्य योजना में शामिल करने पर भी चर्चा की गई।

बैठक में मुख्य विकास अधिकारी एसएल सेमवाल,परियोजना निदेशक अजय कुमार,जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी चेतना अरोड़ा,खण्ड विकास अधिकारी दिनेश जोशी सहित अन्य अधिकारी वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।

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