उत्तराखंड

समागम को सफल बनाने में अहम भूमिका होती है सेवादार अनुयायियों की

देहरादून। समागम के दूसरे दिन का शुभारम्भ एक आकर्षक सेवादल रैली द्वारा हुआ। इस रैली में भारतवर्ष एवं दूर देशों से आए हुए हजारों सेवादल स्वयंसेवक भाई बहनों ने हिस्सा लिया। भारतवर्ष के पुरुष स्वयंसेवकों ने खाकी एवं बहनों ने नीली वर्दी पहन कर तथा विदेशों से आये सेवादल सदस्यों ने अपनी अपनी निर्धारित वर्दियों में सुसज्जित होकर भाग लिया।दिव्य युगल के पावन सान्निध्य में आयोजित सेवादल रैली में सत्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने शांति के प्रतीक रूप में मिशन के ध्वज को मुस्कुराते हुए फहराया।

 

इस रैली में सेवादल द्वारा शारीरिक व्यायाम का प्रदर्शन किया गया और मिशन की सिखलाई पर आधारित लघुनाटिकाओं द्वारा सेवा के विभिन्न आयामों को बड़े ही रोचक ढंग से उजागर किया गया। इसके अतिरिक्त सेवादल नौजवानों द्वारा विभिन्न मानवीय आकृतियों के करतब भी दिखाए गए और खेल कूद के माध्यम से सेवा के प्रति सजगता एवं जागरुकता का महत्व दर्शाया गया। अंत में बॅण्ड के धून पर सेवादल के सदस्य सत्गुरु के सामने से प्रणाम करते हुए गुजरे और अपने हृदयसम्राट सत्गुरु के प्रति सम्मान प्रकट किया।

सेवादल रैली को सम्बोधित करते हुए सत्गुरु माता ने कहा कि समर्पित भाव से की जाने वाली सेवा ही स्वीकार होती है। जहां कही भी सेवा की आवश्यकता हो उसके अनुसार सेवा का भाव मन में लिए हम सेवा के लिए प्रस्तुत होते हैं वही सच्ची भावना महान सेवा कहलाती है। यदि कहीं हमें लगातार एक जैसी सेवा करने का अवसर मिल भी जाता है तब हमें इसे केवल एक औपचारिकता न समझते हुए पूरी लगन से करना चाहिए क्योंकि जब हम सेवा को सेवा के भाव से करेंगे तो स्थान को महत्व शेष नहीं रह जाता। जब हम ऐसी सेवा करते हैं तो उसमें तो निश्चित रूप में उसमें मानव कल्याण का भाव निहित होता है।

इसके पूर्व सेवादल के मेंबर इंचार्ज पूज्य विनोद वोहरा ने समस्त सेवादल की ओर से सत्गुरु माता एवं निरंकारी राजपिता का सेवादल रैली के रूप में आशिष प्रदान करने के लिए शुकराना किया।

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