उत्तराखंड

वन पंचायत सरपंचों की एक दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

डीएफओ ने कहा सभी कार्य होंगे पारदर्षिता से 
पुरोला –  पुरोला विकास खंड के टौंस वन प्रभाग के वन चेतना केंद्र में वन पंचायत सरपंचों की एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।जिसमें वन पंचायत के अधिकारों व कर्तव्यों की जानकारी दी गयी।वन पंचायत सरपंचों को सम्बोधित करते हुए रमेश चन्द्र खंडूरी पूर्व उपवन संरक्षक ने कहा कि वन विभाग और वन पंचायत दोनों एक ही परिवार का हिस्सा है दोनों को आपसी सामंजस्य से ही विकास के लिए कार्य करने हैं। वन विभाग से ज्यादा वन पंचायत में रह रहे ग्रामीणों को अपने जल जमीन जंगल के बारे जानकारी होती है।जंगल को बचाने की जिम्मेदारी वन विभाग की ही नही बल्कि हर व्यक्ति की है।आज जंगली जानवर गांव की ओर बढ़ रहे हैं उसका कारण भी हम ही हैं क्योंकि जंगलों को हम बहुत नष्ट कर रहे हैं । जंगली जानवर जिस जड़ी बूटियों व फलों को खाते हैं उसे हम खोद खोद कर अपने लिए प्रयोग कर रहे हैं। वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सबकी है। डीएफओ कुन्दन कुमार सिंह ने वन पंचायत सरपंच को आश्वस्त किया कि हर वन पंचायत के लिए कार्ययोजना तैयार कर दी जायेगी।

वन विभाग वन पंचायत सरपंचों के साथ हर तरह से सहयोग करेगा। ग्रामीणों के साथ वन विभाग के कर्मचारियों का व्यावहार आपसी भाईचारे का होगा।वन पंचायत सरपंचों ने रोष व्यक्त किया कि वन विभाग ने हमारे हक हकूक, पीडी, फ्री ग्रांट आदि जो मिलता था वह सब बन्द कर दिए हैं।
डीएफओ ने कहा कि किसी भी तरह से कोई इस तरह का न तो आदेश जारी हुआ न ही मैंने किसी को कहा ,इस तरह का झूठा प्रचार किया जा रहा है। जो सरकारी मानक पहले से तय है उसी मानक से आज भी सबको जो सुविधा वन विभाग दे रहा था ,दिया जायेगा।वन पंचायत सरपंच महरगांव दसरथसिंह ने जंगली जानवरों से खेतों के नुकसान के मुवावजे के लिए वन विभाग द्वारा त्वरित कार्यवाही की मांग की। वनक्षेत्रधिकारी आँचल  गौतम ने बताया कि यदि जंगली जानवरों से कोई नुकसान होता है तो वन विभाग से किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती गई है।सरपंच पुजेली लोकेश नौटियाल ने पारदर्शिता से काम करने पर जोर दिया वहीं डीएफओ से मांग की कि अगली बैठक में 2021 से 2023 तक वन पंचायतों पर अभी तक कितना धन खर्च हुआ उसको सभी सरपंचो से साझा करें ताकि सभी को जानकारी हो सके।

स्वरोजगार की पहल पर आलोक बिजल्वाण ने वन पंचायत सरपंचो से कहा कि हमारे पास वन संपदा से अपार स्वरोजगार की सम्भावना हैं ,महिलाओं ने पिरूल,रिगाल, से कई तरह के सजावटी पेनदान,टोकरी, कटोरी, आदि वस्तुओं को बनाया है जिसे पर्यटन खूब पसंद कर खरीदते हैं।हमारे अंदर कुछ करने का जज्बा होना चाहिए।
वन पंचायत सरपंचों ने इस तरह की कार्यशाला के आयोजन की डीएफओ की भूरी भूरी प्रशंसा की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!