उत्तराखंड

गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के नाम एक प्रशंसक ने लिखा खुला पत्र

देहरादून – आदरणीय नेगी दा

प्रणाम।

आशा है गैरसैंण में सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने के बाद पूरे आंदोलन को राजनीतिक बताकर उससे नाता तोड़ने के बाद रात को नींद अच्छी आई होगी। सुबह सरकार और भाजपा नेताओं के बधाई संदेशों को देखकर मन प्रफुल्लित भी हुआ होगा।

लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इधर हालात वैसे नहीं हैं। यहां न तो आखों में नींद है और न ही दिल में चैन। इसी उथल पुथल में सोचा आपको चिट्ठी ही लिख दूं। वैसे भी चिट्ठी लिखने की कला अब दम तोड़ चुकी है, आप जैसे समाज, संस्कृति व राजनीति के पहरुए अपने गीतों कविताओं में चिट्ठियों को बचाए हुए हैं। शायद आपको याद भी नहीं होगा कि किसी जमाने में आपका लेटर इंटरव्यू करने वाला मैं ही था, आपने जिस सादगी से मेरे सवालों भरे अंतर्देशीय को वापस भेजा था, उस दिन को याद कर आज भी मन गदगद हो जाता है, लेकिन आज अपने आदर्श पुरुष को ऐसी चिट्ठी लिखनी पड़ रही है। ऐसी कल्पना नहीं की थी।

नेगी दा, कभी किसी से इजहार नहीं किया लेकिन आज बता दूं कि 54 वर्ष की आयु में अब तक जितने भी उत्तराखंडी गीत सुने हैं। उनमें से 98 प्रतिशत आपके ही हैं। आपके अलावा न कभी दूसरे कलाकारों के गीत सुनने की इच्छा रही और न ही उनको पूरा सुना। आपके गीतों से निकला दर्द, प्रेम, हास्य सब दिल में कहीं हूक से उठाता है। आपके शब्द — शब्द पर बलिहारी जाने को मन करता है।

दावे से कह सकता हूं कि उत्तराखंड के लाखों लोगों की भावनाएं भी कुछ ऐसी ही हैं। कुछ दिन पहले आपका वीडियो आमंत्रण देखा। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की सदन में कहीं गई टिप्पणी से दुखी मन को राहत मिली। लगा अब राजनीति से लोहा लेने के लिए हमारा शब्दों को जादूगर उतरा है। राजनीति घुटनों के बल आ जाएगी। न जाने कितने युवा इस रैली में भाग लेने के लिए सिर्फ और सिर्फ आपके आमंत्रण पर गैरसैण पहुंचे थे। हमने दूर से ही आपको मंच पर बैठे देखा तो निश्चिंत हो गए कि अब पहाड़ की लड़ाई को शब्द मिलेंगे। आपके जनगीतों से पूरा उत्तराखंड एक बार फिर राजनीति को सबक सिखाने के लिए कदमताल करता दिखेगा।

लेकिन आज सुबह से आपके साक्षात्कार का एक वीडियो जितनी बार भी आखों के सामने से गुजरा दिल को हर बार नया सा झटका लगा। लगा एक गीत अधूरा से रह गया। फिर भी दिल मानने को राजी नहीं था कि वह वीडियो सच था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने अपने सोशल मीडिया अकांउट पर वीडियो टांगा तो मानना पड़ा कि वीडियो ओरीजनल ही है।

फिर समझ आया कि कल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दिन के वक्त ही गैरसैण जानेवाले लोगों को सड़क छाप क्यों कह दिया था। उन्हें पता था कि आप साक्षात्कार में क्या कहने जा रहे हैं। आज उन्होंने यह बात स्पष्ट भी कर दी।

नेगी दा, दिन से न जाने क्यों लग रहा है कि हम फिर से छले गए, लेकिन इस बार हमें भाजपा कांग्रेस या किसी दूसरे राजनैतिक दल ने नहीं छला। हमें तो अपनों ने मारा…। क्यों कि इस प्रदेश के युवाओं का गैरसैण रैली को समर्थन आपके नाम पर था। आपके आहृवान पर था। जब सदन से बाहर निकल कर प्रेमचंद अग्रवाल ने माफी मांग ली थी और उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए था तो गैरसैंण में लोगों को बुलाने की मजबूरी आखिर क्या थी। राजनीति आप के मंच से होने लगी थी तो क्या भाजपा गैरराजनैतिक है।

भैजी, दिल मानने को कतई राजी नहीं कि हमारे नेगी दा ने ही हमसे धोखा कर दिया। आज पूरा दिन सोशल मीडिया पर पद्मश्री का शोर उठता रहा, लेकिन मैं दावे से कह सकता हूं कि हमारे नेगी दा पर ऐसे कई अलंकार न्योछावर हैं। आप तो दिलों पर राज करते हैं, आपको सत्ता से क्या लेना।

फिर कहीं सुनने को मिला कि एक बार रमेश पोखरियाल ने भी सोशल मीडिया पर लिखा था आज गढ़रत्न का अपने आवास पर स्वागत किया। किसी ने कहा कि भू कानून की लड़ाई में भी ऐसा ही देखने को मिला। शराब के खिलाफ भी किसी ने आपका देवप्रयाग शराब उद्योग पर दिया गया बयान निकाल कर दिखा दिया। सबने कहा यह सब पद्मश्री का खेल है। पर दिल फिर भी कहता है कि यह सब कयासबाजी हैं। हमारे नेगी दा ऐसे नहीं…

प्रेमचंद मंत्री रहें या न रहें, महेंद्र भट्ट कल को प्रदेश अध्यक्ष रहें या न रहे धामी सीएम रहें या न रहें नरेंद्र नेगी तो उत्तराखंड के मस्तिष्क की मणि हैं। आपके नूर में तो कई प्रेमचंद, महेंद्र भट्ट और धामी समाए हुए हैं। पद्मश्री भी इस नूर के आगे फीकी ही रह जाती। आपको पद्मश्री मिलना चाहिए लेकिन उसकी यह कीमत आप स्वीकार कैसे कर सकते हैं।

फिर क्यों हमारे नेगी दा ने उत्तराखंड से छल किया होगा। प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे तक आंदोलन को चलाने के लिए शंख फूंकने वाला क्यों आधे में ही भाग खड़ा हुआ, यही समझने में पूरा दिन खप गया और अभी न जाने कितनी रातें खपने वाली हैं। कानों में पद्मश्री पद्मश्री का कोलाहल गूंज रहा है। ज्यादा कुछ लिखने का मन तो है पर शब्द नहीं मिल रहे…।

खैर…अगर कुछ गलत कह दिया हो तो छोटा समझ कर माफ कीजियेगा। चलते चलते आपको होली की शुभकामनाएं… ईश्वर करे आप स्वस्थ रहें, राजनीति से ऐसे ही दूरी बनाए रहें…अपना ख्याल रखें। प्रणाम

आपका

प्रशंसक

तेजपाल नेगी

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