राष्ट्रपति से सम्मानित वी डी रतूड़ी के घर श्रद्धांजलि देने पहुँचे उत्तराखंड के कैबनेट मंत्री व विधायक
ऋषिकेश – टिहरी जनपद के जेबाला गांव में जन्मे वीडी रतूड़ी का कुछ दिनों पूर्व 94 साल की उम्र में देहान्त हो गया।
उन्होंने अपने जीवन काल मे समाज के लिए अनेकों कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन किये।उनके बड़े पुत्र डॉ0 राजेन्द्र रतूड़ी ने बताया कि टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर क्षेत्र में कई तरह की सामाजिक बुराइयों को उन्होंने समाप्त किया।उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में शुरू की । तीन साल तक उन्होंने बच्चों की पढ़ाने के साथ साथ अच्छे संस्कार भी दिये ।तीन साल के बाद उन्हें प्रिंसिपल पद पर बिठा दिया गया।अपने कार्यकाल में उन्होंने समाज की कई बुराइयों को समाप्त किया ।टिहरी में राजा होने के कारण कहा जाता था कि एक राज्य में दो राजाओं का तिलक नही ही सकता ,यानी राजा राम व टिहरी के राजा का। इस गलत धारणा पर उन्होंने जोरदार प्रहार किया और लंबगांव स्कूल में ही रामलीला की शुरुआत कर डाली।
उन्होंने पशु बलि प्रथा को रोका,वहीं कन्या का विक्रय का भी कड़ा विरोध किया।समाज को आगे बढ़ाने के लिये बिटियों को पढ़ाने पर जोर दिया।वहीं पूरे जनपद में मद्यपान का भी विरोध किया।अपने जीवन काल में वे हमेशा समाज के लिए ही चिंतन करते रहे।इस उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरुष्कार से नवाजा गया।वीडी रतूड़ी जिला शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए।
कैबनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल व सुबोध उनियाल व विधायक किशोर उपाध्य ने भी उनके आवास में आकर श्रंद्धाजलि अर्पित की।प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि वीडी रतूड़ी अपने सिद्धांतों में कभी समझौता नहीं करते थे। उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक होते हुए भी उनको राजनीति रास नहीं आयी जिस कारण उन्होंने पार्टी से त्याग पत्र दे दिया।हमेशा राजनीति से सन्यास ले लिया।वे हमेशा शिक्षा ,स्वास्थ्य, व पलायन के लिए सरकार को भी अपना सुझाव देते रहते थे। उत्तराखंड की राजनीति से वे काफी खपा भी थे।उन्होंने महसूस किया कि 24 साल के उत्तराखंड में जो विकास होना था वह अभी भी अधूरा है।उन्होंने सरकार के नाम भी एक पत्र जारी किया।