उत्तराखंड

च्वार धान (लाल चावल) के जीआई टैग के मामले में काश्तकारों ने जिलाधिकारी को भेजा ज्ञापन

रंवाई घाटी की पहचान को अन्यत्र दिए जाने से आक्रोशित हैं क्षेत्र के किसान 
पुरोला  – रंवाई घाटी के च्वार धान (लाल चावल) के जीआई टैग में हुई अनियमितता को लेकर फिर मुखर हुते सिराईं के काश्तकार, लाल चावल को राज्य के अन्य क्षेत्र का बताकर जीआई टैग करने के मामले को लेकर बुद्धवार को क्षेत्र के काश्तकारों ने उपजिलाधिकारी देवानंद शर्मा के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि लाल चावल केवल रंवाई घाटी के कमल सिराईं,रामा सिराईं व गड्डूगाड़ पट्टी का विशेष ओषधीय गुणों से भरपूर एकमात्र पारम्परिक उत्पाद है जिसके उत्पादन के लिए केवल इसी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां ही अनुकूल हैं लेकिन कृषि विभाग की लापरवाही व मिलीभगत से क्षेत्र के प्रसिद्ध उत्पाद लाल चावल को किसी निजी संस्था के माध्यम से अन्यत्र का दिखाकर जीआई टैग करवाया गया जो सरासर रंवाई की पहचान लाल चावल उत्पादन के साथ एक अन्याय है और यंहा के काश्तकारों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। ज्ञापन में कहा गया है कि वर्ष 2015-16 में लाल चावल (च्वार धान) के उत्पादन को लेकर पहले ही रंवाई घाटी के सिराईं व गड्डूगाड़ पट्टी को वीवीपी व एफआरए प्राधिकरण व अधिनियम 2011 के अंतर्गत प्रमाणपत्र भी मिल चुका है जो 2022 में प्राप्त हुवा है। एक ही फसल को दूसरे स्थानों का उत्पाद बताकर जिसका पहले ही पेटेंट हो चुका को यह सरासर क्षेत्र के मेहनतकश किसानों के साथ धोखा है। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि रंवाई घाटी के लाल चावल की उत्पादकता के लिए शीघ्र जीआई टैग में संसोधन नही होता है तो मजबूरन क्षेत्र के काश्तकारों को उग्र आंदोलन कर न्याय की शरण लेनी पड़ेगी। ज्ञापन देने वालों में युद्धवीर सिंह रावत,शूरवीर सिंह असवाल, राजपाल पंवार,ओमप्रकाश नौडियाल,जयेंद्र सिंह राणा, नवीन गैरोला,बलदेव सिंह,श्यालिक राम,देवेंद्र चमियाला,वीरेंद्र सिंह रावत आदि काश्तकार थे।

रिपोर्ट – नीरज उत्तराखंडी

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