उत्तराखंड

कई सुविधाओं के लिए जूझ रहा है बालिका इंटर कॉलेज

पुरोला- जनपद उत्तकरकाशी के पुरोला में एक ऐसा विद्यालय जहां रोज सैकड़ों बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। यह विद्यालय लगभग 30 सालों से निरन्तर चल रहा है ।आपको जानकर हैरानी होगी कि इस विद्यालय में बच्चों के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं है, छोटे से भवन में शिक्षक अपने जी जान मेहनत कर उनके भविष्य को संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।इसमे पढ़ने वाली छात्राएँ यदि चाहकर भी कुछ करना चाहे तो कुछ नहीं कर पाती। यदि इण्टर साइंस में बच्चे को भौतिक विज्ञान पढ़ना चाहे तो इस विषय को पढाने ने के लिए शिक्षक ही नहीं है। वही कला वर्ग में छात्रायें राजनीतिक शास्त्र, गृह विज्ञान भी बिना शिक्षक अपनी पढ़ाई स्वयं करने को मजबूर हैं। एल0टी0 में भी हिन्दी व सामान्य विषय के शिक्षक नहीं है।जहां कहा जाता है कि खेल से बच्चों का सर्वागींण विकास होता है। उस विकास के लिए विद्यालय के पास खेलने के लिए अपना मैदान ही नहीं। खेलने के लिए बच्चों को दो(2) किलोमीटर दूर पुरोला बाजार होकर स्टेडियम में लेकर जाना पड़ता है।

अपने लिये खेलने के लिए खेत को साफ करती छत्राएँ

अपने खेलने के लिए बच्चे विद्यालय के बगल में खेतों को तैयार करते हैं।उत्तरकाशी जनपद का ऐसा विद्यालय है राजकीय बालिका इंटर कालेज पुरोला। इस विद्यालय में 2006 से 2018 तक कोई प्रधानाचार्य नहीं रहा। केवल 3 साल 2018 से 2019 तक रही प्रधानाचार्य ने भी अपनी सेटिंग सुविधाजनक विद्यालय में स्थान्तरण करवा दिया। इस विद्यालय में लगभग 15 सालों से ऋतंभरा सेमवाल प्रधानाचार्या पद की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। उनका कहना है कि सैकड़ों बच्चों को पढ़ाने के लिए भवन तक नहीं है। खेल मैदान भी नही है , फिर भी इस विद्यालय का रिजल्ट हमेशा अच्छा रहता है। खेल में भी यहां की बालकायें हमेशा अब्बल रही हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक, तीरथ सिंह रावत ने भवन बनाने की घोषणा की थी लेकिन सब हवा हवाई साबित हुई। पहाडों में हजारों बच्चे अभाव के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। खेल शिक्षक सीमा देशवाल का कहना है कि दो किलोमीटर जब बच्चों को स्टेडियम खेलने के लिये ले जाना पड़ता है तो बहुत ही दिक्कतों से जूझना पड़ता है। सरकार की लचर व्यवस्था से शिक्षा विभाग आज भी परेशान है। जिसका सीधा असर छात्रों पर ही पड़ रहा है।

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