वन विभाग में जांचों की घोर अनिमितायें,दो अघिकारियों के निधन के बाद भी जांच अधूरी
देहरादून – उत्तराखंड वन विभाग में जांचों की बहुत ही बुरे हाल हैं।आलम यह है कि दो वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी का निधन हो गया परन्तु उनके जीवित रहते जांचें पूरी नहीं हो सकी। जांच में आरोप गलत भी साबित हो सकते थे ।वन विभाग में एक डीएफओ को निलंबित किया गया। प्रकरण की जांच कौन करेगा, इसके लिए जांच अधिकारी नामित नहीं हो सका है। दो और अधिकारी हैं जिनके मामले में भी जांच अधिकारी नामित नहीं हुए हैं।
वन विभाग की कार्यप्रणाली सवालों में रही है। अधिकारियों पर आरोप लगने के साथ कार्रवाई भी होती रही है। इसमें दो अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी पर अनियमितता संबंधी आरोप लगे। इसमें एक अपर प्रमुख वन संरक्षक को वर्ष-2022 में आरोप पर निर्गत किया गया। इस मामले की जांच तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक ज्योत्सना सितलिंग को सौंपी गई। उक्त अनुशासनिक कार्यवाही लंबित होते हुए वे रिटायर हो गए। पिछले साल उनका निधन भी हो गया।
ऐसे में नियमानुसार अनुशासनिक कार्यवाही को बंद कर दिया गया। इसी तरह एक अन्य अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी पर अनियमितता के आरोप लगे। वर्ष-2020 में आरोप पत्र दिया गया। अनुशासनिक जांच तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक को सौंपी गई। यह अधिकारी वर्ष-2022 में रिटायर हो गए। इसी वर्ष उनका भी निधन हो गया। ऐसे में अनुशासनिक कार्रवाई को बंद कर दिया गया।
9 अधिकारी रिटायर हो चुके, 11 सेवारत और सेवानिवृत्त पर जांच चल रही
वर्तमान में 11 सेवारत और सेवानिवृत्त आईएफएस की जांच चल रही है। इसमें डीएफओ से लेकर सेवानिवृत्त प्रमुख वन संरक्षक स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं।बताया जाता है कि इन मामलों में कई अधिकारियों के मामले की जांच को जांच अधिकारी ने सौंप दिया है, पर आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
वन विभाग के जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश हुए थे उन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। राजकीय कार्याें में उदासीनता, कर्तव्यों के प्रति उदासीनता, वन आरक्षी भर्ती में अनियमितता, छिलका- गुलिया की अवैध निकासी, अवैध पातन होने पर कर्तव्य पालन में शिथिलिता, अनाधिकृत तौर पर अनुपस्थित आदि रहना शामिल है। वन विभाग के कई अफसरों पर आरोप लगा और जांच की गई तो उसमें आरोप साबित न होने पर दोष मुक्त कर दिया गया। इसमें आईएफएस टीआर बीजूलाल, बीपी सिंह शामिल है।
आरके सुधाँसु पराम्बिऊख सचिव वन ने कहा कि जांच का काम जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है। इस संबंध में रिमाइंडर दिया गया है। निश्चित तौर पर जांच का समयबद्ध होना चाहिए। इस संबंध में जांच अधिकारी को भी स्पष्ट निर्देश होंगे। समयबद्ध होकर कार्रवाई होनी चाहिए।