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करवा चौथ का व्रत कैसे देगा शुभ फल

दिल्ली। इस वर्ष करवा चौथ का त्योहार 1 नवंबर के दिन मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन पर शादीशुदा महिला पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। रात को पति का चेहरा और चांद देखकर व्रत खोलती हैं। बता दें, करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक के रूप में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

करवा चौथ का शुभ मूहर्त
जानी मानी जोतिषाचार्य सुनीता शर्मा का कहना है कि, मंगलवार 31 अक्टूबर रात 9:30 से यह तिथि शुरू हो रही है, पर सूर्य उदय से यह तिथि मानी जाती है। इसलिए बुधवार एक नवंबर को करवा चौथ मनाया जाएगा। इस दौरान सूर्य उदय से लेकर चंद्र उदय तक उपवास रखना चाहिए।

पूजा का समय
इस बार पूजा का शुभ समय 5:45 से 7:02 तक है। इस समय शिवयोग बन रहा है, जो बेहद अच्छा योग माना जाता है। अगर इस अच्छे योग में पूजा की जाती है तो, उसका फल कई गुना मिलता है।

चंद्रमा निकलने का समय
ज्योतिषाचार्य सुनीता शर्मा ने बताया इस करवा चौथ के दिन चंद्रमा निकलने का समय रात्रि 8:15 है।

कैसे शुभ फल प्राप्त करे
इस दिन यदि आप अपनी शादी का जोड़ा पहनते हैं, तो बहुत अच्छा होता है। उन कपड़ों पर आपके बड़ों का आशीर्वाद, आपके माता-पिता का आशीर्वाद जुड़ा होता है। वह शादी के मनत्रों से जुड़ा होता है। यदि आपके पास वह वस्त्र नही है या आप पहनना नहीं चाहते, या आपको नही आते हैं, तो आप लाल रंग के वस्त्र पहने। महिलाएं लाल वस्त्र जरूर पहने। तैयार होते समय आप माता पार्वती का ध्यान जरूर करें। मां पार्वती हमें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती है।

इस पवित्र दिन क्या ना करे

आजकल करवा चौथ को पति दिवस के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोगों की धारणा होती है कि, पति के लिए व्रत कर रहे हैं। अक्सर लोग व्रत खोलकर होटल रेस्टोरेंट में खाना पीना करते है और शारीरिक मेल जोल करते है, यह बात सही नहीं है।

कैसे मिलेगा शुभ फल
ज्योतिषाचार्य सुनिता शर्मा बताती है। यह सच है कि व्रत पति की लंबी आयु, आपसी प्रेम और शुभता के लिए है। यह व्रत भगवान गणेश का माना जाता है। भगवान गणेश हमारे विघ्नहरते हैं। इस व्रत में हम भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करते हैं, और चंद्रमा से पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, आपसी प्रेम के लिए मंगल कामना करते है। असल में यह वक्त ईश्वर की उपासना का है। इसलिए शुद्ध भोजन और शारीरिक शुद्धता के नियमों का पालन करना चाहिए। जो हम अन्य व्रत के समय में करते हैं। इस दिन काले सफेद नीले कपड़े न पहनें।

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