उत्तराखंड में अपनी सेवा देकर बहुत खुश हैं- डॉ पल्लवी पांडे
बिहार पटना में पली पढ़ी लिखी हैं डॉ0पल्लवी पांडे
कर्नाटक से बीडीएस की पढ़ाई हुई पूरी
एमडीएस के लिए पल्लवी को महाराष्ट्र जाना पड़ा
कुछ समय तक बिहार में ही सेवा की पल्लवी ने
बड़ी बहिन भी जानी मानी डॉक्टर है
5 वर्ष तक सहारनपुर में भी मेडिकल कालेज में प्रोपेसर पद पर रही हैं पल्लवी
देहरादून – उत्तराखंड में अन्य राज्यों से सेवा करने के लिये जहां कई लोग न नुकुर करते हैं वहीं महिलाएं अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं ।
दून मेडिकल कालेज की एसोसियेट प्रोपेसर डॉ. पल्लवी पांडे कहती हैं कि मैंने नवंबर २०२४ में दून मेडिकल कॉलेज में काम करना शुरू किया। मुझे भारत के कई राज्यों में काम करने का अनुभव रहा है। इससे पहले, मैं कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश में काम कर चुकी हूँ। परंतु पहाड़ी क्षेत्र का अनुभव पहली बार हुआ। यहाँ के लोग सरल स्वभाव के होते हैं। खासकर यहाँ की महिलाएं… पहाड़ों की माटी ऊपर से सुंदर सोम्य एवं अंदर से अडिग और शक्तिशाली… यही शायद पहाड़ों की खासियत है।
दून मेडिकल कॉलेज की बात करें, तो यह अस्पताल अन्य कई सरकारी अस्पतालों से ज्यादा मरीजों को सुविधा दे रहा है। हमारी प्रधानाचार्या, जो कि खुद एक महिला हैं, एवं हमारे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, सरकार के साथ मिलकर इस अस्पताल की प्रगति के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
बस जरूरत है एक अच्छे पेशेंट-डॉक्टर रिलेशनशिप की, जिसमें विश्वास हो ,सम्मान हो ,सहानुभूति हो,संचार हो ,सहयोग हो।
एक अच्छा पेशेंट-डॉक्टर रिलेशनशिप मरीज के इलाज और स्वास्थ्य में सुधार के लिए बहुत जरूरी है-डॉ0 पल्लवी पांडे
उत्तराखंड में जो भी सेवा करने आया ।उसे यहां के लोगों से आत्मीयता हो गयी क्योकि देवभूमि में रह रहे लोग भी देवताओं की तरह ही हैं यदि आज जरूरत है तो उसे कायम रखने की। दून मेडिकल कालेज के अस्पताल में प्रतिदिन हजारों रोगी आते हैं जिनका इलाज भी बखूबी होता है ।डेंटल डॉ0 पल्लवी अपनी सेवा बड़े समर्पित होकर करती हैं ,हर रोगी से बहुत ही मधुर स्वर में बात करती हैं जिससे रोगी का निदान भी बड़े सरल ढंग से होता है।
डॉ0पल्लवी बताती हैं कि हमारा पूरा परिवार अलग अलग राज्यों में सेवा कर रहे हैं।इनके पति भी मेडिकल कालेज प्रोपेसर हैं।वर्तमान में यमुनानगर में कार्यरत हैं। बच्चे उत्तरप्रदेश सहारनपुर में रहते हैं,उसके बाबजूद भी डॉक्टर पल्लवी अपने कार्य से बड़ी खुश हैं। उत्तराखंड में आज ऐसे ही डॉक्टरों की जरूरत जो अपनी सेवा के लिये हमेशा समर्पित रहते हैं।