पत्रकार यदि स्वतंत्र लेखन के माध्यम से सरकार से सवाल जवाब करे तो क्या पत्रकार के खिलाफ मुकदमे होने लगेंगे ?
टिहरी – पत्रकार यदि स्वतंत्र लेखन के माध्यम से सरकार से सवाल जवाब करे तो क्या पत्रकार के खिलाफ मुकदमे होने लगेंगे ? यह तो लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने जैसा है, हम इसकी कड़े शब्दों मे निंदा करते है।
वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट ने पत्रकार पर हुए केस को लेकर बयान जारी किये.
उन्होंने कहा कि पत्रकार गजेंद्र रावत के खिलाफ एक प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR),IPC की धारा 505(2) मे दर्ज की गई है। गजेन्द्र रावत ने हमारे अराध्य भगवान केदारनाथ जी के गर्भ गृह मे लगा सोना कैसे पीतल हो गया इस पर सवाल किया था? उन्होंने यह सवाल यूंही नहीं किया था अपितु पूर्व मे स्वयं वहां के पंडा पुरोहित ने यह सवाल किया था, और देशभर के मिडिया संस्थानों और हजारों लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से यह सवाल उठाए था! किंतु मुकदमा गजेंद्र रावत के ही खिलाफ क्यो?
माननीय उच्चतर न्यायालय ने अनेकों वादो मे प्रेस की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी को कायम रखा है जैसे रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य
प्रभु दत्त बनाम भारत संघ
साकल पेपर्स लिमिटेड बनाम भारत संघ
राजगोपाल बनाम तमिलनाडु राज्य
चुकीं वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था की आधार शिला है। प्रत्येक प्रजातांत्रिक सरकार इस स्वतंत्रता को बड़ा महत्व देती है। इसके बिना जनता तार्किक एवम अलोचनात्क शक्ति को, जो प्रजातांत्रिक सरकार के समुचित संचालन के लिए आवश्यक है,विकसित करना संभव नहीं है ।
उन्होंने कहा कि आखिर ऐसा क्या लिख दिया गजेंद्र रावत ने कि मन्दिर समिति को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करना पड़ा?
केदारनाथ मंदिर में लगा सोना पीतल कैसे बन गया ?
सरकार और समिति को चाहिए था, कि समाज मे जो सवाल गुंजायमान है, उनकी निस्पक्षता से जॉच करवाकर स्थिति को स्पष्ट करना था, न कि सवाल करने वालो पर मुकदमा?
इस मुकदमे से गजेंद्र रावत का तो कुछ नही बिगड़ेगा लेकिन सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी चुकीं अब कोर्ट मे सोना कैसे पीतल बना इस पर तो चर्चा होगी ही ?