खड़गे की नई टीम का पैटर्न
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी टीम बनाने में 14 महीने का समय लिया और बहुत सारे महासचिवों और प्रभारियों को उनके पद पर बनाए रखा। लेकिन इसके बावजूद उनकी टीम में एक पैटर्न दिख रहा है और संतुलन बनाने का प्रयास भी दिख रहा है। खास कर उत्तर भारत के राज्यों में खड़गे ने एक डिजाइन के तहत नियुक्तियां की हैं। इसका कितना फायदा मिलेगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन यह लग रहा है कि कांग्रेस के महासचिवों का प्रभार या प्रभारियों की नियुक्ति रैंडम नहीं है। ऐसा नहीं है कि किसी को कहीं बैठा दिया गया। नए और पुराने लोगों का भी संतुलन बनाया गया है और परिवार के प्रति निष्ठावान लोगों का भी ध्यान रखा गया है।
खड़गे ने महासचिव अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है। लेकिन अभी तक वे ऐसे राज्यों में प्रभारी रहे हैं, जहां कांग्रेस का ठीक ठाक आधार रहा है, जैसे राजस्थान, झारखंड आदि। लेकिन अब ऐसे राज्य में भेजा गया है, जहां कांग्रेस बिल्कुल समाप्त हो गई है। लेकिन इस नियुक्ति में पैटर्न यह है कि कांग्रेस ऐसी नियुक्ति कर रही है, जिससे दोनों संभावित सहयोगियों- सपा और बसपा से टकराव न हो। पहले कांग्रेस ने दलित समाज के बृजलाल खाबरी को हटा कर सामान्य वर्ग के अजय राय को अध्यक्ष बनाया और अब ब्राह्मण प्रभारी भेजा है। कांग्रेस यह मैसेज दे रही है कि वह भाजपा के वोट में सेंध लगाने की राजनीति कर रही है। इसी वजह से मुस्लिम, पिछड़ा या दलित प्रभारी नहीं बनाया।
बिहार में समाजवादी पृष्ठभूमि वाले मोहन प्रकाश को प्रभारी बनाया है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के साथ उनके पुराने और अच्छे संबंध रहे हैं। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ भी पुराना संबंध है। सो, दोनों बेहतर तालमेल के साथ काम कर सकेंगे। नाम से उनकी जाति का अंदाजा नहीं होता है लेकिन लालू, नीतीश को पता है। इसी तरह का राजनीतिक पैटर्न झारखंड और पश्चिम बंगाल की नियुक्ति में दिख रहा है। जम्मू कश्मीर के मुस्लिम नेता जीए मीर को कांग्रेस ने इन दोनों राज्यों का प्रभारी बनाया है। इसके जरिए कांग्रेस ने हेमंत सोरेन और ममता बनर्जी दोनों को मैसेज दिया है। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सामान्य वर्ग के हैं।
इसी तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने सचिन पायलट को प्रभारी बनाया है। वहां आदिवासी समाज के दीपक बैज को अध्यक्ष रखा गया है। आदिवासी और पिछड़ा का कार्ड कांग्रेस खेल रही है। लेकिन उससे ज्यादा अहम यह है कि पायलट कांग्रेस के नए नेताओं में सबसे जुझारू और मेहनती हैं। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में बेहतर करने की उम्मीद है। जितेंद्र सिंह, सुखजिंदर रंधावा, रणदीप सुरजेवाला आदि को उनके संबंधित राज्य में बनाए रखा गया है क्योंकि प्रदेश नेतृत्व के साथ इनका तालमेल बेहतर है। राजनीति के हाशिए में चली गईं, दीपा दासमुंशी को कांग्रेस की सत्ता वाले राज्य तेलंगाना में भेजा गया है।