श्रीकृष्ण का हुआ जन्म ,पूरे पंडाल में झूमने लगे श्रद्धालु
देहरादून – कथा वाचक अनूप कोठियाल ने चतुर्थ दिवस की कथा का व्यख्यान करते हुए कहा कि देवता और असुरों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया इस समुद्र मंथन से अमृत निकाला जो भगवान ने देवताओं को पिलाया
कथा में सूर्यवंशी राजा सैयथी महाराज और उनकी कन्या सुकन्या का वर्णन भी आया। जिस सुकन्या ने चमन ऋषि की आंखों को पीड़ा पहुंचाई और फिर राजा ने सुकन्या का विवाह चमन ऋषि के साथ कर दिया। बहुत सारे चंद्रवंशी राजाओं की सूर्यवंशी राजाओं की कथा आई और फिर अंत में कंस के कारागार में भगवान श्री कृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ प्राकट्य हुआ । भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार और रोहिणी नक्षत्र में ठीक रात 12:00 बजे भगवान का जन्म हुआ ।
पूरे पंडाल में बैठे श्रद्धालु श्रीकृष्ण जन्म पर बहुत उत्साहित हुए सभी श्रद्धा से झूमने लगे।कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया