मोदी आए और बॉय कर गए
श्रुति व्यास
जी20 डायरी-3 : जी-20 के मीडिया मंडपम में रविवार को लंच के बाद अचानक चहल-पहल बढ़ी। एक के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस होने लगी। पीक समय तब आया जब मंडपम में एसपीजी और एनएसजी के लोग और खोजी कुत्ते दिखलाई दिए। लगा शायद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां आने वाले हैं। करीब पांच बजे बताया गया कि प्रधानमंत्री वहां आएंगे। और जितने भी पत्रकार मौजूद थे वे उनके इंतजार में बेरीकेडों के पीछे भीड़ बनाकर खड़े हो गए। सात बजे तक इंतजार था। प्रेस वाले बोर हो चुके थे और थके हुए थे बावजूद इसके सभी उम्मीद में थे कि वे आएंगे तथा फोटो खींचने और उनसे कुछ प्रश्न करने का मौका मिलेगा।दो घंटे की इंतजारी के बाद प्रधानमंत्री आए, पत्रकारों की ओर हाथ हिलाते हुए चक्कर लगाया।कोई पांच मिनट। अचानक एक औरसे नारे सुनाई दिए मोदी,मोदी और जयश्री राम! और प्रधानमंत्री मीडिया मंडपम से बाहर निकल गए।
जबकि तमाम पत्रकार उम्मीद में थे कि प्रधानमंत्री फोटो खींचवाएंगे, वैसे ही प्रेस कांफ्रेस करेंगे जैसे लंच के बाद एक-एक कर विश्व नेताओं ने आ कर की। मैं दिन के अनुभव में यह सोचते हुएप्रभावित थी कि कैसे कई राष्ट्राध्यक्ष और शीर्ष व्यक्तित्व छोटी गोल्फ गाड़ी से एकदम आम आदमी की तरह मीडिया मंडपम में पहुंचे। और फिर बेधडक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया। पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर दिए। सचमुच दोपहर बाद हम मीडियाकर्मी एकदम व्यस्त हो गए। इस डायरी की लेखिका यों आधा दिन गुजरने के बाद वहां पहुंची परंतु तब भी देर नहीं हुई थी। राजघाट में बापू को श्रद्धांजलि की रस्म अदायगी हो चुकी थी। बीस्ट और अमेरिका के राष्ट्रपति दिल्ली छोड़ चुके थे। शहर के नागरिकों पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी थी। भारत ने जी-20 का नेतृत्व औपचारिक रूप से ब्राजील को सौंप दिया था।
जब मैं मीडिया मंडपम में पहुंची तब तक काफी बड़ी संख्या में पत्रकार जा चुके थे और बाकी भी जाने की तैयारी कर रहे थे। अधिकांश के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति की विदाई का मतलब था समाचारों के स्त्रोत का सूख जाना। उनके लिए अब इस आयोजन में कुछ खास करने को बचा नहीं था। आज लाल कालीन भारत मंडपम को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया सेंटर से जोड़ रहा था।तभी फ्रांस के राष्ट्रपति से लेकर इटली की प्रधानमंत्री तक और उनसे लेकर विश्व बैंक के मुखिया तक प्रेस की बातचीत होती हुई थी। विदेशी नेताओं की फोटो खींची जा रही थी और प्रेस उनके कहे एक-एक शब्द को ध्यान से सुन रही थी। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ और जर्मन चासंलर ओलाफ शुल्ट्ज ने सम्मेलन के दूसरे दिन ही प्रेस कान्फ्रेस संबोधित कर दी थी। इसके बाद भी तीसरे दिन की दोपहर में प्रेस वार्ताओं की बहार थी।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ लंच के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने सुरक्षा कर्मियों और मंत्रियों के साथ मीडिया मंडपम में पहुंचे। उनकी प्रेस कान्फ्रेंस कुछ अपवादों को छोडक़र केवल फ्रेंच प्रेस तक सीमित थी। उनकी प्रेस कान्फ्रेंस का सार यह था कि जी-20 घोषणापत्र रूस के लिए कूटनीतिक जीत नहीं है और ऐसा लगता है कि इस सम्मेलन में रूस अलग-थलग पड़ गया। उन्होंने कहा कि जी-20 की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों को सुलझाने के लिए की गई थी और इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि वहां यूक्रेन में चल रहे युद्ध के मामले में कोई कूटनीतिक प्रगति हो।
मैक्रों पत्रकारों से बात कर ही रहे थे कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो एक गोल्फ कार्ट में मीडिया मंडपम में पहुंच। उनके साथ बहुत कम सुरक्षाकर्मी थे। जहां तक ट्रूडो साहब का सवाल है ऐसा बताया जा रहा है कि उनकी उपेक्षा की गई और उनके और मोदी के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक आयोजित नहीं की गई। इसके पीछे खालिस्तान का पेंच था या कुछ और, यह कहना मुश्किल है। पर इस आशय की खबरें कनाडा की प्रेस और एक्स पर लगातार प्रसारित हो रही हैं। इटली की प्रधानमंत्री ज्योर्जा मेलोनी की एक बार फिर स्टायलिश एंट्री हुई। उन्होंने जी-20 बैठक के बाद चीन के प्रधानमंत्री ली क्वेंग ने के साथ बैठक में यह साफ कर दिया था कि इटली बैल्ट एंड रोड इनीशियेटिव से बाहर जाना तय कर चुका है। जहां तक स्टायलिश कपड़ों का सवाल है, इटली की प्रधानमंत्री इंग्लैंड की प्रथम महिला अक्षता मूर्ति को कड़ी टक्कर देते हुए थी। वे जो कह रही हैं वही कर रही हैं।
इनके बाद तुर्की के राष्ट्रपति अर्दुगान मीडिया मंडपम पहुंचे। उन्होंने जो कहा वह रूस के प्रति तुर्की की नीति के बिल्कुल अनुरूप था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि रूस को अलग-थलग करने के किसी भी प्रयास का असफल होना तय है।जाहिर है आखिरी दिन मीडिया को ढेर सारी हेडलाईनें और खबरें मिलीं। जब ये सब नेता मीडिया मंडपम से चले गए और विदेशी नेताओं की उड़ानें भारत छोडऩे लगीं तब प्रेस ने भी अपना सामान बांधना शुरू कर दिया।तभी नरेंद्र मोदी के आने की खबर मिली।