जांच की जरूरत है
खबर है कि अवैध तरीके से पोलैंड के रास्ते अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों तक जाने वालों में भारत के लोग भी शामिल हैं। आरोप तो यहां तक लगा है कि भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला चल रहा था। हालांकि विवाद अंतरराष्ट्रीय है, लेकिन इसमें कथित रूप से भारतीय नागरिक भी शामिल या इससे प्रभावित बताए जाते हैं, इसलिए इस पर भारत सरकार को अवश्य ध्यान देना चाहिए। खबर है कि अवैध तरीके से पोलैंड के रास्ते अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों तक जाने वालों में भारत के लोग भी शामिल हैं।
आरोप तो यहां तक लगा है कि भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला चल रहा था। पोलैंड में तो इस कांड में भागीदारी के कारण वहां के उप विदेशमंत्री को बर्खास्त कर दिया गया है। अब तक जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक भारत समेत एशिया और अफ्रीका के कई देशों के लोगों को पोलैंड का वीजा दे कर यूरोप और अमेरिका भेजा गया है। खुद पोलैंड की सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी ने यह मामला उछाला, लेकिन तब उसे पता नहीं था कि यह उसको भी भारी पड़ेगा। जब बात बढ़ी, तो वर्तमान सरकार भी घेरे में आ गई। गौरतलब है कि जल्द ही पोलैंड में चुनाव होने वाले हैं।
पोलैंड के अफ्रीका और एशिया के दूतावासों से पैसे लेकर वीजा देने के मामले के उछलने से सत्ताधारी पार्टी की छवि को गहरा धक्का पहुंचा है। पोलैंड में प्रवासियों को लेकर नियम काफी सख्त हैं। इसका फायदा पोलैंड के अधिकारियों ने उठाया। उन्होंने ने मोटी रिश्वत में लेकर अयोग्य लोगों को पोलैंड का वीजा दिलवाया। ये लोग पोलैंड से वीजा लेकर यूरोप में जर्मनी और दूसरे देशों की ओर गए। यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सदस्य देशों में किसी का वीजा होने पर पूरे ईयू क्षेत्र में जाया जा सकता है। खबर है कि जिन देशों को पोलैंड का वीजा दिया गया, उनमें से कुछ लोगों को मेक्सिको के रास्ते अमेरिका भी भेजा गया। इसके लिए बकायदा पोलैंड के दूतावासों से मल्टीइंट्री वीजा जारी किए गए।
इस तरह के हरेक वीजा के लिए 35,000 से 40,000 डॉलर तक की रकम बिचौलियों की मदद से वसूली गई। रिपोर्टों के मुताबिक यह सिलसिला 2021 से ही चल रहा था। चूंकि इसमें भारत का नाम भी उछल गया है, इसलिए इस बारे में भारत सरकार को अपने यहां पूरी जांच करानी चाहिए।