उत्तराखंड

वन पंचायत सरपंचों की वन मंत्री व प्रमुख वन संरक्षक के साथ हुई एक दिवसीय कार्यशाला

  • वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वन पंचायतों को किया जायेगा सुदृढ़
    वन पंचायत सरपंचों की वन विभाग के साथ अहम भूमिका
    वन पंचायतों के माध्यम से पूरे उत्तखंड में स्वरोजगार की आयेगी बयार
    वन पंचायत सरपंचों की होगी मुख्य भूमिका

देहरादून – उत्तराखंड के प्रत्येक विकास खण्ड से आये वन पंचायत सरपंचों की एक कार्यशाला वन मुख्यालय कार्यालय राजपुर रोड के मंथन सभागार में हुई ,जिसमें हर विकास खण्ड से वन पंचायत के सरपंचों ने भाग लिया।सभागार में उत्तराखंड के वन विभाग के सभी उच्च अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया ।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डॉ0 धनन्जय मोहन प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत उत्तराखंड ने कहा कि गैर प्रकाष्ठ वन उपज Nan timber forest produce (NTFS) विकास तथा हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट के माध्यम से वन पंचायतो में वन आधारित गतिविधियों जैसे जड़ी बूटी संग्रहण ,पर्यटन और समुदाय आधारित उधमो से स्थानीय निवासियों को सामाजिक आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान की पहल हो सकेगी।

पूरे उत्तराखंड में 11017 वन पँचायतें काम कर रही हैं।जिनके पास लगभग 4000 वर्ग किलोमीटर भूमि है इनमें 1600 किस्म की जड़ी बूटियों का अथाह भंडार है।जिसका पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रयोग भी किया जाता है।जिसकी घरेलू एवं निर्यात में मांग है।वह पंचायतों द्वारा वन आधारित गतिविधियों जैसे Medicinal and Aromatic plants (MAP) { जड़ी बूटी} संग्रह पर्यटन और समुदाय आधारित उधमो के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ा जाएगा।इस योजना की स्वीकृति माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा भी पहले ही दी जा चुकी है।उन्होंने कहा कि पहले 500 वन पंचायतों में इस योजना को शुरू किया जायेगा।

जिनके पास 30 हेक्टेयर से अधिक भूमि होगी।इस योजना को पारदर्शिता के साथ किया जायेगा।वन पंचायत सरपंचों ने इस पर आपत्ति जताई है कि ज्यादातर वन पंचायतों में 5 हेक्टेयर से अधिक भूमि नहीं है इस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अधिकारियों से कहा कि जिस वन पंचायत में अपनी भूमि कम है उसे वन विभाग अपनी भूमि देगा ,वन पंचायत सरपंच उपजिलाधिकारी के माध्यम से अपने लिए भूमि के लिए आवेदन करेगा।वन मंत्री ने कहा कि वन पंचायतों को सुदृढ़ बनाया जा रहा है ,जिस तरह ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत के अधिकार हैं उसी तरह से वन पंचायत सरपंचों को भी अधिकार दिए जायेंगे।जिला योजना में भी वन पंचायत सरपंच की भी भूमिका होगी।सरपंचो ने वन मंत्री से मानदेय की मांग करते हुए कहा कि पांच साल तक सरपंचो को कुछ भी मानदेय नहीं मिलता जबकि सरपंच वन विभाग के साथ मिलकर पूरी लगन व निष्ठा से काम करते हैं।वनाग्नि में वन पंचायत के सदस्यों व सरपंच का अहम योगदान होता है।जल जंगल को बचाने का काम भी करते आ रहे हैं।वन विभाग के वन प्रमुख संरक्षक वन पंचायत धनन्जय मोहन ने वन पंचायत सरपंचो की भूरी भूरी प्रसंसा की। कार्यशाला में मोरी,पुरोला ,नौगांव, बड़कोट, उत्तरकाशी, टिहरी, पैड़ी,चमोली,जोशीमठ, बद्रीनाथ, उखीमठ,गोपेश्वर, लगभग 11 जिलों से हर विकास खंड से एक या दो जागरूक सरपंचो ने भाग लिया।

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