उत्तराखंड

सेवा में निष्काम भाव जरूरी – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

दिल्ली  (देहरादून)  – 24 व 25 सितम्बर को  हरिजन सेवक संघ द्वारा आयोजित 92 वें स्थापना दिवस के अवसर पर सद्भावना सम्मेलन में अपने पावन आशीष प्रदान करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने फरमाया, “मानव सही मायनों में तभी मानव बनता है अगर वह हर भेदभाव से ऊपर उठकर सब में परमात्मा का रूप देखकर निष्काम भाव से सबकी सेवा करे।”

इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर शंकर कुमार सान्याल व उप-प्रधान श्री नरेश यादव ने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता रमित जी का अंगवस्त्र और सूती दुपट्टा पहनाकर स्वागत व सम्मान किया। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा स्थापित इस धरोहर के स्थापना दिवस पर उन्हीं की प्रेरणा का संकेत, एक चरखे का लघु स्मृति चिन्ह भी सेवक संघ की ओर से सतगुरु माता जी के प्रति समर्पित किया गया।

इस अवसर पर जहां हरिजन सेवक संघ के छात्रों ने स्वागत गीत व सरस्वती वंदना का गायन किया वहीं निरंकारी इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट (नीमा) के बच्चों द्वारा गांधी जी के प्रिय भजन, “वैष्णव जन” के अतिरिक्त अन्य भक्ति गीतों का मधुर गायन भी हुआ। सेवक संघ के अध्यक्ष श्री सान्याल ने गांधी जी और कस्तूरबा जी के मार्गदर्शन का जिक्र करते हुए जहां एक ओर संघ के उपक्रमों का उल्लेख किया, वहीं दूसरी ओर संत निरंकारी मिशन की विचारधारा के अनुपालन से “वसुधैव कुटुम्बकम” की संभावना व्यक्त करते हुए सतगुरु माता जी का धन्यवाद किया। उन्होंने निरंकारी मिशन के सामाजिक उत्थान के अविरल प्रयासों की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करी।

इस अवसर पर निरंकारी राजपिता जी ने भी आशीर्वाद देते हुए कहा कि सतगुरु से परमात्मा की प्राप्ति के बाद मनुष्य सबके दर्द को अपना दर्द समझकर महसूस करता है और इसी भाव से अहंकार रहित सेवा को प्राप्त होता है।

कार्यक्रम के अंत में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के सचिव, श्री जोगिंदर सुखिजा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए हरिजन सेवक संघ के समस्त भारत से सम्मिलित हुए सदस्यों व विशिष्ट अतिथियों का धन्यवाद किया और उन्हें नवंबर में आयोजित होने वाले 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के लिए भी आमंत्रित किया।

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