सेवा दिवस” का सच जनता के सामने – अभिषेक बहुगुणा
देहरादून – उत्तराखंड सरकार अपने तीन साल पूरे होने पर 23 मार्च को “सेवा दिवस” मना रही है, लेकिन यह दिवस वास्तव में सेवा का है या सिर्फ एक चमकदार नाम के पीछे छिपा प्रचार, यह सवाल हर उत्तराखंडवासी के मन में उठना चाहिए। जन अधिकार पार्टी (जनशक्ति) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अभिषेक बहुगुणा के तौर पर मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारा मकसद जनता को जागरूक करना है—उन्हें सोचने पर मजबूर करना है कि क्या सचमुच इन तीन सालों में उनकी जिंदगी बदली है? हम कोई आंकड़े नहीं थोप रहे, बल्कि जनता से कह रहे हैं कि अपने आसपास नज़र डालें—क्या पहाड़ों से पलायन रुक गया? क्या गांव के युवा को रोज़गार मिला? क्या बीमार पड़ने पर अस्पताल में इलाज आसानी से मिल जाता है? अगर इन सवालों का जवाब “नहीं” है, तो यह “सेवा दिवस” किसके लिए है—जनता के लिए या सरकार की तारीफ के लिए?
सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए थे—रोज़गार देंगे, पलायन रोकेंगे, स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करेंगे, स्कूलों को मज़बूत करेंगे, सड़कों को जोड़ेंगे, और अवैध खनन पर लगाम लगाएंगे। लेकिन क्या ये वादे पूरे हुए? पहाड़ के गांव खाली हो रहे हैं, युवा शहरों की ओर भाग रहे हैं, अस्पतालों में दवा और डॉक्टर तक नहीं मिलते, स्कूलों में बच्चे पढ़ने को तरस रहे हैं, सड़कें टूटी पड़ी हैं, और नदियों के किनारे खनन का खेल बदस्तूर चल रहा है। यह सब देखकर क्या आपको नहीं लगता कि “सेवा” शब्द का इस्तेमाल सिर्फ दिखावे के लिए हो रहा है? हम जनता से कहते हैं—अपने घर, अपने गांव, अपने बच्चों के भविष्य को देखें और पूछें कि क्या सरकार ने वही दिया जो उसने वादा किया था?
हमारा यह कथन किसी टकराव के लिए नहीं, बल्कि सच को सामने लाने के लिए है। जन अधिकार पार्टी आपकी आवाज़ बनना चाहती है। हम चाहते हैं कि आप सोचें, सवाल करें और सरकार से जवाब मांगें। क्या तीन साल में आपकी जिंदगी में कोई ऐसा बदलाव आया, जिसे आप “सेवा” कह सकें? अगर नहीं, तो यह “सेवा दिवस” सिर्फ एक नाम है, हकीकत नहीं। हमारा कदम जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाना है—न उकसावा, न विवाद, बस जनता को सच से रू-ब-रू कराना। आपकी आवाज़ हमारी ताकत है, और हम उसे हर मंच पर उठाएंगे।