उत्तराखंड

सेवा, संघर्ष व समर्पण से दिव्यांग बच्चों के जीवन में परिवर्तन ला रही है विजय लक्ष्मी जोशी

पहाड़ी क्षेत्र के दिव्यांग बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने वाली प्रेरणादायक पहल

संस्थापक विजय लक्ष्मी जोशी एक प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व
नौगांव – उत्तराखंड के तुनाल्का (ब्लॉक नौगांव, जिला उत्तरकाशी) में स्थित Parmarth Vijay Public School (Divyang Chhatrawas) एक ऐसा school है जो शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सम्मान के साथ दिव्यांग व सामान्य बच्चों को जीवन की नई दिशा दे रहा है। इस स्कूल की स्थापना वर्ष 2000 में समाजसेविका  विजय लक्ष्मी जोशी द्वारा की गई थी। वर्ष 2003 से यहाँ दिव्यांग बच्चों को प्राथमिकता दी जाने लगी।

विजय लक्ष्मी जोशी एक समर्पित शिक्षिका और समाजसेविका हैं, जिन्होंने दिव्यांग बच्चों के जीवन को बदलने का बीड़ा उठाया। उनका मानना है कि हर बच्चा, चाहे वह दृष्टि दिव्यांग हो या अन्य प्रकार से दिव्यांग, समान अवसरों का हकदार है।

उत्तरकाशी व टिहरी जनपद के बच्चों को अब तक उत्तरकाशी और टिहरी जनपद के 80 दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, प्रशिक्षण और सामाजिक समावेशन के अवसर प्रदान किए हैं। वर्ष 2007 में जब 12 दिव्यांग बच्चों को दाखिला दिया गया था, उनमें से 5 बच्चे आज सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं, जो संस्था की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। पढ़ाई के साथ साथ यहां के दिव्यांग बच्चों राष्ट्रीय स्तर खेलों में भी अपने राज्य और देश का नाम रोशन किया है।

उत्कृष्ट सफलता– NET उत्तीर्ण दृष्टिबाधित छात्र
वर्ष 2025 में एक पूर्व छात्र ने UGC-NET परीक्षा उत्तीर्ण कर उत्तरकाशी जिले का पहला दृष्टिबाधित NET योग्य छात्र बनने का गौरव प्राप्त किया। यह विजय पब्लिक स्कूल समिति की दीर्घकालिक मेहनत, मार्गदर्शन और समर्पण का परिणाम है।

आर्थिक संकट और समर्पण का उदाहरण
2007 से मार्च 2021 तक संस्था को दृष्टिबाधित संस्थान (NIEPVD) से अनुदान प्राप्त हुआ। लेकिन जब तीन वर्षों तक दिव्यांग बच्चों के भोजन आदि का कोई सहयोग नहीं मिला, तब  विजय लक्ष्मी जोशी और उनके पति वीरेंद्र दत्त जोशी ने निजी स्तर पर कर्ज लेकर विद्यालय का संचालन किया। यह उनकी अडिग इच्छाशक्ति और सेवा भावना का परिचायक है।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का मार्गदर्शन और सहयोग
संस्थान को समय-समय पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के पूज्य स्वामी  चिदानन्द मुनि सरस्वती  का पावन आशीर्वाद एवं सहयोग प्राप्त होता रहा है। पूज्य महाराज  के “दिव्यांगता मुक्त भारत” के संकल्प से प्रेरित होकर संस्था कार्य कर रही है। पूज्य महाराज  का यह विश्वास रहा है कि प्रत्येक दिव्यांग बालक, यदि उसे सही अवसर मिले, तो समाज का उज्ज्वल भविष्य बन सकता है।

सहयोग और सामाजिक गतिविधियाँ
संस्थान ने NIEPVD, ALIMCO, एवं जिला प्रशासन के साथ मिलकर स्वास्थ्य शिविर, कौशल विकास कार्यक्रम, उपकरण वितरण, और दिव्यांग जागरूकता अभियान चलाए हैं। वर्ष 2013 और 2014 में MGNREGA के तहत 80 दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया गया।

वर्तमान स्थिति
वर्तमान में विद्यालय के संस्थापिका  विजय लक्ष्मी जोशी के मार्गदर्शन में उत्तरकाशी व टिहरी जनपद के 40 दिव्यांग बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन एवं देखरेख की संपूर्ण व्यवस्था प्रदान की जा रही है। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संगीत, खेल, कंप्यूटर, का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे जीवन में आत्मनिर्भर बन सकें।

भविष्य की योजना

विद्यालय की  संस्थापक  विजय लक्ष्मी जोशी की यह  इच्छा है कि  मूक-बधिर बच्चों के लिए शिक्षण केंद्र का आरम्भ करने की है।
यदि समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधि आगे आकर सहयोग करते हैं, तो संस्था का संकल्प है कि भविष्य में मूक-बधिर (श्रवण एवं वाणी दिव्यांग) बच्चों के लिए भी विशेष शिक्षण केंद्र प्रारंभ किया जाए। क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे बच्चों के लिए कोई उपयुक्त विद्यालय नहीं है, और उनका भविष्य अंधकार में है। विजय लक्ष्मी जोशी का सपना है कि इन बच्चों के लिए भी एक ऐसा केंद्र बने, जहाँ वे बोलना, समझना, और समाज में सम्मान से जीना सीख सकें।

समाज में प्रेरणादायक भूमिका
यह संस्था केवल शिक्षा केंद्र नहीं, बल्कि “दिव्यांगता मुक्त भारत” की ओर एक जीवंत प्रयास है।  विजय लक्ष्मी जोशी का सपना है कि उत्तरकाशी व टिहरी जैसे पर्वतीय क्षेत्रों के दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा में स्थान मिले। उनके प्रयासों से समाज में दिव्यांगों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आ रहा है।

विजय जोशी ने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन हमारे स्कूल के लियेकभी कोई मदद नहीं की जबकि ऐसे बच्चों के सहयोग के लिये मदद  करनी जरूरी है।

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