उत्तराखंड

पुरोला विधानसभा में ईमानदार अधिकारियों का क्यों होता है विरोध ?

डीएफओ कुन्दन कुमार व उपनिदेशक डॉ अभिलाषा सिंह ने भ्रष्ट ठेकेदारों पर कसा शिकंजा

वन माफियाओं व भ्रष्ट ठेकेदारों की पहुंच शासन के अधिकारियों तक

जनप्रतिनिधियों के द्वारा आये दिन करवा रहे हैं अधिकारियों खिलाफ नारेबाजी जुलूस प्रर्दशन

 

पुरोला – पुरोला विधानसभा के अंर्तगत तीन विकास खंड व तीन तहसील आती है ,तीनों तहसीलों में सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।सरकार द्वारा भी विकास के लिए करोड़ों रुपये भी क्षेत्र में आता है लेकिन यदि धरातल पर देखें तो विकास दिखता नहीं।हर युवाओं के हाथों में दर्जनों फाइलें होती है ,जब पूछा जाता है तो कहते हैं कि अश्वमार्ग, छपुट्टी, सुरक्षा दीवार या अन्य कोई योजनाओं की फाइलें हैं जिसके लिए शासन से रुपये लाना है।विभाग को खुद मालूम नहीं कि किस मद में खर्च होना है।अधिकारियों को कहा जाता है कि मैंने शासन से रुपये योजनाओ के लिये लाये हैं काम भी मैं करूँगा। यदि काम न मिले तो अधिकारियों पर शासन में बैठे आकाओं का दबाव झेलना पड़ता है।
जब कोई अधिकारी क्षेत्र में कारोंडो रुपये के विकास कार्य को देखता है तो देखता रह जाता है।मोरी विकास खंड के सेंचुरी रेंज के अंतर्गत तीन रेंज रूपिन,सुपिन, एवं सँकरी रेंज में पर्यटन के विकास के नाम पर दर्जनों ठेकेदारों ने करोड़ो रुपये खर्च तो कर दिए लेकिन जब उपनिदेशक डॉ अभिलाषा ने जांच की तो धरातल पर कुछ कार्य नहीं दिखा। जो यदि हुए भी हैं वे मात्र दस प्रतिशत ठीक हैं नब्बे प्रतिशत ठेकेदार डकार गया। जांच में कई ठेकेदारो को डॉ अभिलाषा सिंह ने ब्लेक लिस्ट भी कर दिए। अभी दर्जनों ठेकेदारों की जांच चल रही है।
ठेकेदार अपने इस काले कारनामों को छिपाने के लिए जनप्रतिनिधियों को लेकर आये दिन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। डीएफओ कुंदन कुमार ने भी वन माफियाओं व अवैध रूप से ठेकेदारी करने वालों पर नकेल कसने जब शुरू किया तो ठेकेदारों ने विरोध करना शुरू कर दिया, वन विभाग में जबसे डीएफओ कुंदन कुमार ने कुर्सी संम्भाली है तब से तस्करों के जीना मुश्किल हो गया है,मोरी विकास खंड के टौंस वन प्रभाग के अंतर्गत तीन रेंज सांद्रा, देवता,व सिंगतूर रेंज में 2022-23 में 14 कार्यों के लिए 3 करोड़ 51 लाख 11 हजार रुपये शासन ने जारी किये थे जो कार्य पूर्ण हो चुके हैं। डीएफओ कुंदन कुमार ने कहा गई कि जब कार्य पूरे हो चुके हैं तो उनकी जांच तो होनी चाहिए ,मैंने थर्ड पार्टी से जाँच कराने के लिए जिलाधिकारी को लिखा है जांच भी शूरू हो चुकी है।जिसमें तीनो रेंजों के निमार्ण कार्यों की गहनता से जांच होगी।दोषी ठेकेदार व वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को बख्शा नही जायेगा।तीनो रेंजों में किस किस योजनाओ में हुआ धन खर्च-

सांद्रा रेंज

1- 26.25 लाख रुपये की लागत विगसारी से धापला तक पैदल मार्ग की मरम्मत व पुलिया निर्माण ।
2- 24.69 लाख रुपये की लागत से विगसारी से आसना तक पैदल मार्ग व पुलिया निर्माण।
3- 23.69लाख रुपये की लागत से बामसू से सांद्रा तक पुलिया निर्माण व पैदल मार्ग का कार्य।

देवता रेंज

1-35.97 लाख रुपये की लागत से लूना गाड़ से लूना तक मोटर मार्ग का निर्माण का कार्य।

सिंगतूर रेंज

1- 26.72 लाख रुपये की लागत से गुराड़ी से पासा तक पैदल मार्ग व पुलिया के निर्माण।

2- 20.93 लाख रुपये की लागत से मियागाड़ से गुराड़ी खड्ड पर पुलिया निर्माण ।
3- 30.26 लाख रुपये की लागत से खिला खड्ड में पुलिया निर्माण।
4- 18.33 लाख रुपये की लागत से सुइपाली खड्ड से टिपरी टोक में पुलिया व पैदल मार्ग की मरम्मत का कार्य।
5- 19.26 लाख रुपये की लागत से कपली खड्ड में पुलिया निर्माण ।
6- 4.98 लाख रुपये की लागत से भद्रासु नानई में मोटर मार्ग का निर्माण कार्य।
7- 24.32 लाख रुपये की लागत से ओंस से खड़गो तक पैदल मार्ग व पुलिया निर्माण का कार्य।
8- 24.58 लाख रुपये की लागत से जीवाणु केदारगंगा में पैदल मार्ग न मरम्मत कार्य।
9- 55.56 लाख की लागत से माजी गांव तक पैदल मार्ग का मरम्मत कार्य।
10- 15.56 लाख रुपये की लागत से भद्रासु नानई तक मोटर मार्ग का कार्य।
इन सभी कार्यों की जांच के आदेश जारी हुए हैं । भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले ठेकेदार व जन प्रतिनिधिओं का दल वन मंत्री व मुख्यमंत्री के दरबार में स्थानांतरण के लिए जा चुके हैं।
पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल ने भी डीएफओ कुंदन कुमार सिंह व गोबिन्द वन्य जीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क की उपनिदेशक डॉ अभिलाषा के स्थानांतरण के लिये कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के आवास के बाहर धरना तक दे डाला।मामला मुख्यमंत्री के दरबार तक जा पहुंचा।मुख्यमंत्री ने दोनों अधिकारियों की जांच के लिए एक कमेटी बना दी।
सरकार जिस भी विभाग में धन खर्च करती है उसकी जांच कमेटी होनी चाहिये ताकि विकास योजनाओं में किसी तरह की लापरवाही न हो ,लापरवाही करने वाले ठेकेदार व अधिकारियों पर दण्ड त्मक कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए।

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