उत्तराखंड

अज्ञानता के अंधकार से निकलकर ज्ञान के उजाले में जीवन जीना ही भक्ति है -निरंकारी राजपिता रमित जी

नरेन्द्र नगर (टिहरी गढ़वाल) –  निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में नरेंद्र नगर शहर में आयोजित हुए निरंकारी संत समागम में श्रद्धालुओं एवं भक्तों ने सम्मिलित होकर आध्यात्मिक आनंद को प्राप्त किया।

विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए निरंकारी राजपिता रमित  जी ने फरमाया कि धर्म का वास्तविक महत्व ब्रह्म की जानकारी प्राप्त करने के उपरांत ही समझ में आता है और इस परमात्मा से नाता जुड़ने के उपरांत समाज में सद्भावना और एकत्व के सुंदर भाव को विस्तारित किया जा सकता है।

भक्ति की अवस्था का ज़िक्र करते हुए उन्होंने समझाया कि संतों और भक्तों ने हर युग में धर्म के महत्वपूर्ण संदेशों को सांझा किया है। पहले भी जीवन में प्रेम और नम्रता को महत्व दिया जाता था और आज भी भक्ति की अवस्था को और ऊंचा करने के लिए जीवन में प्रेम एवं नम्रता जैसे मानवीय गुणों का होना अत्यंत आवश्यक बताया है। यह दिव्य भाव केवल ईश्वर से नाता जुड़ने के उपरांत ही हमारे जीवन में प्रकट होते है और एक भक्त को सहज एवं सरल बनाकर जीने का ढंग सिखाते है।

सतगुरु के ज्ञान से जीवन में रोशनी आती है और हमारा हर पल भक्ति के रंगों से भर जाता है। फिर हम अज्ञानता रूपी अंधकार से निकलकर ब्रह्मज्ञान रूपी प्रकाश  के ज्ञान से युक्त जीवन जीते हैं  यही परमधर्म है जो हमें केवल जोड़ना सिखाता है। इस एक परमात्मा को जानकर इसे मानते हुए एक हो जाने के सुन्दर भाव से हमें अवगत करता है। सही अर्थो में यही सच्चा धर्म है।

नरेन्द्र नगर ब्रान्च के संयोजक कल्याण सिंह नेगी ने निरंकारी राजपिता रमित जी एवं समस्त साध संगत का हृदय से आभार व्यक्त किया एवं प्रशासन द्वारा किए गए सराहनीय सहयोग हेतु धन्यवाद दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!