उत्तराखंड

राज्य सरकार के द्वारा आईटीबीपी के साथ किए गए करार

उत्तरकाशी – राज्य सरकार की उल्लेखनीय पहल से जिले में भेड़-बकरी, मछली और कुक्कुट पालन से जुड़े लोगों को आजीविका के बेहतर अवसर मिलने की राह प्रशस्त हो गई है। राज्य सरकार के द्वारा आईटीबीपी के साथ किए गए करार के बाद जिले में तैनात इस बल की वाहिनियों के लिए राज्य पशुपालक संघ के माध्यम से जिंदा भेड़-बकरी, मछली और कुक्कुट की स्थानीय स्तर से आपूर्ति शुरू हो गई है। इस व्यवस्था के सफल संचालन, पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण हेतु जिला स्तर पर गठित समिति की बैठक में जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने सप्लाई चेन को सुचारू बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए संबंधित विभाग व संगठन समुचित रणनीति तय कर सभी आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा उत्पादों के परिवहन हेतु दो वाहन उपलब्ध कराने के साथ ही इस व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक उपाय सुनिश्चित किए जांएगे।

जिला मुख्यालय पर आयोजित उक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा कि स्थानीय पशुपालको को लाभान्वित करने के लिए शुरू की गई इस महत्वपूर्ण योजना को सफल बनाने के लिए सुचारू, सुव्यवस्थित, पर्याप्त व गुणवत्तायुक्त आपूर्ति व्यवस्था बनाई रखनी आवश्यक हैं। इसके लिए संबंधित विभागों व संगठनों को उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य की कमजोर कड़ियों की पहचान कर उन्हें दुरस्त करने पर विशेष ध्यान देना होगा। ताकि उत्पादकों व ग्राहक संगठन को इस व्यवस्था का अधिकाधिक लाभ पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस अभिनव पहल से बिचौलियों को दूर करने में मदद मिलेगी और भेड़-बकरी, मछली और कुक्कुट व्यवसायों को प्रोत्साहित कर स्थानीय स्तर पर आजीविका संवर्द्धन के बेहतर अवसर पैदा किए जा सकेंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि आईटीबीपी की स्थानीय वाहिनियों की भेड़-बकरी, मछली और कुक्कुट की संपूर्ण मांग की पहले से आकलन कर समय से आपूर्ति सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जाय।

बैठक में बताया गया कि राज्य स्तर पर संपादित एमओयू के अनुसार जिले से आईटीबीपी की मातली एवं महीडांडा स्थित दो वाहिनियों को जिंदा भेड़-बकरी, मछली और कुक्कुट की आपूर्ति शुरू कर दी गई है। आईटीबीपी की इन दोनों वाहिनियों वर्तमान में उनके कुल उपभोग का लगभग बीस प्रतिशत हिस्सा इस व्यवस्था के तहत आपूर्ति किया जाना है। भविष्य में आपूर्ति की मात्रा में और वृद्धि होगी। इस व्यवस्था के तहत राज्य पशुपालक संघ से किसान को उसके बैंक खाते के माध्यम से तीन दिन के अंदर भुगतान करने की व्यवस्था की गई है।
बैठक में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. हरि सिंह बिष्ट ने बताया कि आईटीबीपी की दोनों वाहिनियों को शुरूआती एक लॉंट में कुल 1200 किलोग्राम वजन के जिंदा भेड़-बकरी एवं कुल 650 किलोग्राम वजन केकुक्कुट की आपूर्ति की जा चुकी है। एमओयू के अनुसार जिंदा बकरे का मूल्य रू. 296 प्रति किलोग्राम एवं कुक्कुट का मूल्य रू. 135 प्रति किलोग्राम निर्धारित है। उन्होंन बताया कि प्रारंभिक आकलन के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में इन दोनों वाहिनियों को लगभग 31000 किलोग्राम के बराबर जिंदा भेड़-बकरी की मांग है।।
सहायक निदशक मत्स्य यूपी सिंह ने बताया कि इन दोनों वाहिनियों को स्थानीय मत्स्य पालकों द्वारा उत्पादित ट्राउट मछली की तीन खेप (कुल 305 किलोग्राम) की आपूर्ति की जा चुकी है। ट्राउट मछली का विक्रय मूल्य रू. 450/- प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है और इसके अतिरिक्त पैकिंग व परिवहन व्यय फेडरेशन के माध्यम से अलग से देय है। इन दोनों वाहिनियों की मछली की वर्तमान मांग लगभग 642/- किलो प्रतिमाह है।
बैठक में भेड़-बकरी, मछली और कुक्कुट पालन से जुड़े अनेक किसानों ने प्रतिभाग करते हुए इस व्यवस्था को किसानों के लिए अत्यंत हितकर और कारगर कदम बताया।
बैठक में पशुपालन, मत्स्य, डेयरी विभागों के साथ ही आईटीबीपी के अधिकारियों और अनेक किसानों ने भाग लिया।

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